Friday, April 24, 2020

सहसवान तहसील प्रशासन द्वारा राहत सामिग्रीा की सूची में से अपात्र लोगो को चेक कर पात्रों लोगो को दिया गया राशन

सहसवान तहसील के मोहल्ला रुस्तम टोला वार्ड नो 25 में जब तहसील प्रशासन को पता चला की राहत सामग्री की सूची में कुछ नाम अपात्र भी लिख दिए गए हैं तब तहसील प्रशासन में हड़कंप मच गया और जांच का आदेश दिया जब मौके पर जाकर तहसील सहसवान की टीम ने जांच की जिसमें नायब तहसीलदार कानूनगो हल्का लेखपाल आदि लोग मौके पर जांच करने पहुंचे तो उन्होंने पाया बहुत सारे अपात्र लोगों को पाया उसके बाद पात्र और अपात्र लोगों की सूची बनायी अपात्र लोगों को हटाकर जो वाकई में राशन लेने के पात्र लोग हैं उनको सहसवान तहसील प्रशासन द्वारा राशन दिया सहसवान कोतवाली के स्पेक्टर हरेंद्र सिंह की निगरानी में सभी लोगों को राशन दिया गया जो लोग अपात्र पाए गए हैं उनको लेकर तहसील प्रशासन काफी सख्त नजर आ रहा है यह अपात्र लोगों की सूची तहसील प्रशासन को क्यों और कैसे सौंपी गई जिसकी जांच के बाद आगे की कार्रवाई होगी क्यों की अपात्र लोगों सूची को लेकर वार्ड नंबर 25 में एक बार अफरी तफरी का माहौल हो गया था जिसमे माहौल खराब होने की नौबत आई थी अगर पुलिस समय से नहीं आती वार्ड नंबर 25 का माहौल खराब हो सकता था जिसको लेकर तहसील प्रशासन काफी सख्त नजर आ रहा है अपात्र लोगों सूची को लेकर तहसील प्रशासन कार्यवाही करने बात बोल रहा है जिससे कि आने वाले समय में कोई फर्जी काम ना हो सके जिसको राशन की जरूरत हो उसको ही राशन सामग्री  मिल

Sunday, April 19, 2020

एक बार फिर गरीबों के मसीहा बने युवा नेता गयासुद्दीन उर्फ गुड्डू,हजारों की संख्या में बाटे राहत के पैकेट







सहसवान :-आज नगर सहसवान में एक बार फिर समाजवादी पार्टी के नेता धर्मेन्द्र यादव की ओर से उपलब्ध कराई जा रही राहत सामग्री को समाजवादी पार्टी के युवा नेता गयासुद्दीन उर्फ गुड्डू ने सहसवान के सहवाजपुर,कटरा,सैफ़ुल्ला गंज,नवादा आदि मोहल्ले में गरीब लोगों को एक राहत का पैकेट वितरित किया जिसमें आटा दाल चावल तेल साबुन चीनी आदि सामग्री थी एक पैकेट में भरकर लोगों को राशन का इंतजाम किया और सहसवान के लोगों से आवान किया किसी को भी किसी भी चीज की जरूरत हो तो वह तुरंत आकर मेरी कोठी पर संपर्क करें और उसको हर संभव सहायता दी जाएगी सहसवान में गरीबों के मसीहा बनकर उबरे गयासुद्दीन उर्फ गुड्डू सहसवान में चर्चा का विषय बने हुए हैं जिस हिम्मत के साथ उन्होंने गरीबों के कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ देने का वादा किया हे साथ चलने का साथ निभा रहे हैं सहसवान नगर में उनकी तारीफ हो रही है और लोग उनकी हौसला अफजाई कर रहे हैं 

Friday, April 10, 2020

नगर सहसवान में लॉकडाउन का पालन अनुशासन के साथ हो रहा हे

सहसवान/बदायूं: जिला बदायूं की तहसील सहसवान में जिला अधिकारी बदायूं श्री कुमार प्रशांत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री अशोक कुमार त्रिपाठी के सख्त निर्देशों का पालन करते हुए सहसवान के उप जिलाधिकारी श्री लाल बहादुर,क्षेत्राधिकारी श्री रामकरन व कोतवाल सहसवान श्री हरेंद्र सिंह के बिना आराम किए दिन रात के अथक प्रयासों के कारण सहसवान की जनता लॉकडाउन का पालन पूरी तरह से कर रही है।शुक्रवार को बरेली कमिश्नर महोदय सहसवान की स्थिति का जायजा लेने आ रहे थे। कमिश्नर साहब के प्रोग्राम का कवरेज करने मैं अपने सहयोगी फोटोजर्नलिस्ट सैयद तुफैल अहमद के साथ गया मगर किसी कारणवश कमिश्नर का तहसील सहसवान का दौरा रद्द हो गया सहसवान की सभी सीमाएं सील कर कर दी गई हैं तथा किसी भी बाहर के व्यक्ति या वाहन को सहसवान की सीमा में प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है सीमाओं पर तैनात पुलिसकर्मी पूरी कर्मठता के साथ अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं । शहवाजपुर चौराहे पर नगर पालिका द्वारा पास प्राप्त किए हुए जो भी वाहन गुजर रहे थे उनको सैनिटाइज किया जा रहा था नगर पालिका कर्मी बदरुल जमीर  उर्फ गुड्डू मियां ऐलान  करके लोगों को घर में रहने का आह्वान कर रहे थे। वास्तव में  आईएएस,पीसीएस अधिकारी,पुलिस कर्मी, नगर पालिका कर्मी,सफाई कर्मी चिकित्सक व मेडिकल staff समाज के असली हीरो हैं जो संकट की घड़ी में  हमारी सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं ।मैं जर्नलिस्ट(Journalist) होने के नाते अपने इस आर्टिकल (लेख) के जरिए जिला अधिकारी बदायूं व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बदायूं वह सहसवान के तमाम प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान इस और आकर्षित करना चाहूंगा कि एक और जहां सहसवान के उप जिलाधिकारी ,पुलिस क्षेत्राधिकारी व सहसवान कोतवाल सहसवान के लोग डाउन को कामयाब बनाने का पूरी तरह से प्रयास कर रहे हैं वहीं कुछ पुलिसकर्मी दरोगा ऐसे भी हैं जो अपनी शासन द्वारा दी गई शक्तियों का  गलत प्रयोग कर रहे हैं। दिनांक 9 अप्रैल दिन बृहस्पतिवार को मोहल्ला चौधरी में बन्ने खां साहब के फाटक के पास एक दूध विक्रेता को एक दरोगा ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा क्षेत्राधिकारी सहसवान उन दरोगा जी से यह पूछे कि सहसवान में लोक डाउन किया है या यहां की मासूम व गरीब जनता को भूख हड़ताल (हंगर स्ट्राइक) करने पर मजबूर किया है। यदि गली मोहल्ले में सब्जी वाले फल वाले और दूध बेचने वाले नहीं आएंगे तो यहां की जनता क्या हवा खाएगी? लोक डाउन के चलते एक तो जनता वैसे ही परेशान हैं और इसके अतिरिक्त उनको जीवन यापन की आवश्यक वस्तुएं सब्जी फल दूध व दवाइयां इत्यादि उपलब्ध नहीं कराई जाएंगी तो जनता तो वैसे ही मर जाएगी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी भारत सरकार व माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार श्री योगी आदित्यनाथ जी का एकमात्र संकल्प है कि को रोना  नामक महामारी  को इस देश से जड़ से खत्म करना है मगर भारतीय नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं व खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए वे दृढ़ संकल्प हैं ।मैंने दिनांक 10 अप्रैल शुक्रवार को सहसवान का सर्वेक्षण किया पूरे शहर में सन्नाटा पसरा हुआ था और जिलाधिकारी महोदय व पुलिस अधीक्षक महोदय के आदेशों का पालन पूरी तरह से हो रहा है ।क्या सहसवान की गरीब जनता जब अपने घरों में भूख के कारण अपने प्राण त्यागना शुरू करेगी तब समझा जाएगा कि यहां के प्रशासनिक अधिकारी, जिलाधिकारी महोदय के आदेशों का पालन कर रहे हैं। लेख के अंत में, मैं जिलाधिकारी महोदय श्री कुमार प्रशांत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री अशोक कुमार त्रिपाठी से अनुरोध करूंगा कि ऐसे पुलिसकर्मियों को सख्त निर्देश दें कि वह सब्जी वाले दूध वाले विक्रेताओं को बेवजह परेशान ना करें।
रिपोर्ट :-मोहम्मद सलीम खान (सीनियर सब एडिटर) ICN मीडिया ग्रुप   

Wednesday, April 1, 2020

कोरोना वायरस का अज़ाब हे ये कुदरत का खेल |.मोहम्मद सलीम खान सीनियर सब एडिटर आईसीएन मीडिया रुस्तम टोला सहसवान/बदायूं.

इस वक्त लगभग दुनिया के सभी बड़े और ताकतवर देश कोरोना वायरस के संक्रमण के खौफ के साए मे ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं। दुनिया मैं वायरस का संक्रमण 29 मार्च 2020 तक लगभग 550000 लोगों को हो चुका है और पूरी दुनिया मैं लगभग 24900 लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 12750 लोगों को इस महामारी से बचा लिया गया है। अमेरिका जैसा महाशक्तिशाली राष्ट्र मे सबसे अधिक लगभग 86000 लोग इस महामारी से पीड़ित हैं और लगभग 1300 लोगों की इस महामारी के कारण मौत हो चुकी है। इसके अलावा चीन में लगभग 81897 इटली में लगभग 80589 स्पेन में लगभग 64059 ईरान में लगभग 32332 और भारत में लगभग 843 लोग इस महामारी से संक्रमित हो चुके हैं और बड़े ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि चीन में लगभग 3296 स्पेन में लगभग 4858 ईरान मे लगभग 2378 अमेरिका में लगभग 1300 और भारत में लगभग 20 लोगों की इस महामारी के कारण मौत हो चुकी है। आज इस महामारी के इतना विशाल रूप धारण करने के कारण हमें यह सोचना चाहिए कि आखिर ऐसा क्या हुआ और इस दुनिया में ऐसा क्या हो रहा है कि अचानक पूरी दुनिया में कर्फ्यू जैसे हालात पैदा हो गए हैं?  क्या पूरी दुनिया के दानिश वर बुद्धिजीवी राजनेता धार्मिक प्रवृत्ति के लोग अमायदीने शहर सभ्य समाज के लोग और देश के आम नागरिक अपनी अपनी अंतरात्मा और अपने जमीर से पूछें ऐसा हमने क्या किया कि हमारा रब और हमारा ईश्वर हमसे इतना नाराज हो गया कि उसने अपने घर के दरवाजे भी हमारे लिए बंद कर दिए। हिंदुस्तान के एक मशहूर व मारूफ शायर हजरत अल्लामा इकबाल का एक शेर है.....वतन की फिक्र कर ऐ नादान मुसीबत आने वाली है तेरी बरबादियों के मशवरे हैं आसमानों में, न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिंदुस्तान वालों तुम्हारी दास्तां भी ना होगी दस्तानो मे। दरअसल अल्लामा इकबाल का लिखा हुआ यह यह शेर आज सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के बाशिंदों के लिए बिल्कुल सटीक बैठता है जब कोई भी समाज या देश के हुक्मरान या देश को चलाने वाली सरकारें हद से तजावुस करती हैं या अपनी सीमा को लाँघती है या फिर जुल्म की इंतहा करती हैं या कुदरत के नियमों के साथ छेड़छाड़ करती हैं तो उसके परिणाम भी भयंकर आते हैं दरअसल यह कोरोना का कहर नहीं बल्कि प्रकृति का प्रकोप है जो हमारे सामने कोरोना वायरस का रूप धारण करके आया है इस वायरस से बचने के तरीके तो तमाम अखबार और न्यूज़ चैनल हमें रोज बता रहे हैं और हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी भारत की जनता से अपील की है जनता 21 दिन तक अपने घरों से बाहर ना निकले सिवाय चिकित्सक मेडिकल स्टाफ और जीवन यापन करने की आवश्यक वस्तुओं के विक्रेता। पर यह भी जरूरी है कि जिस तरह की यह बीमारी है उससे बचने के लिए इस तरह के एहतियाती कदम उठाना अति आवश्यक है। जान है तो जहान है अपने जीवन को बचाने के लिए प्रिकॉशन को तो फॉलो करना  ही पड़ेगा मगर इतना बड़ा कदम उठाने से पहले क्या यह सोचना जरूरी नहीं था कि जो लाखों लोग दूरदराज से रोजी रोटी की तलाश में 200 किलोमीटर से लगभग 1500 किलोमीटर की दूरी तक अपने परिवार से दूर हैं और ऐसे लाखों लोग जिनका जीवन सिर्फ और सिर्फ होटल के भोजन पर ही निर्भर करता है अचानक पूरा देश लॉक डाउन करने से उनका जीवन कैसे चलेगा और वो लाखों लोग जिंदा रहने के लिए भोजन कहां करेंगे। विशेषकर दिल्ली के रहने वाले गरीब मजदूरों के सामने आगे कुआं और पीछे खाई वाली स्थिति उत्पन्न हो गई वह बेचारे घर से बाहर निकले तो करोना से मौत और अगर घर में रहे तो भूक से मौत हालांकि दिल्ली जैसे शहर में केंद्र व राज्य सरकार ने भोजन का अब इंतजाम किया है मगर सरकार की इस सुविधा का लाभ कितने लोग उठा पाएंगे और सरकार कितने लोगों को खाना खिलाने की व्यवस्था कर पाएगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा जो लोग अपनी पूरी जिंदगी के सपनों का जनाजा खुद अपने ही सर पर रखकर 1000 या उससे अधिक किलोमीटर पैदल चलने के लिए निकल पड़े हैं उनके बारे में एक बात तो यकीनन कही जा सकती है कि उन्हें ना तो सरकार से कोई उम्मीद है और ना ही समाज से वे सिर्फ अपने हौसले के भरोसे जिंदा है और अपने अपने वतन पहुंचने के लिए भारत का गरीब लाचार नागरिक पद यात्रा पर निकल चुका है भूक से तड़पती हुई उनकी आंते ओर मायूसी की गर्त में डूबी हुई उनकी आंखें हमारे इस सभ्य समाज से एक सवाल पूछ रही है कि क्या इस दुनिया में गरीब होना कोई पाप है व्यक्तिगत रूप से मेरा एक सिद्धांत रहा है कि मानवता की सेवा करना ही वास्तव में ईश्वर की सेवा करने के समान हैं बीते आठ 10 दिन मैं यह देखा गया कि इस धरती पर रहने वाले इंसान अलग-अलग रूप में दिखाई दिए कहीं इंसान फरिश्ते या देवता के रूप में लोगों की मदद करते हुए लोगों को खाना खिलाते हुए दिखाई दिए बिना उनका नाम धर्म या जाति के बारे में पूछते हुए कुछ लोगों ने निस्वार्थ उन गरीब और लाचार लोगों की मदद की वास्तव में इस दुनिया का निजाम ईश्वर ऐसे ही लोगों की वजह से चला रहा है जिस दिन से लॉक डाउन है  उस दिन से  व्हाट्सएप और फेसबुक पर  ज्यादातर  दिल को  दुख देने वाली वीडियो  देखे जा रहे हैं लेकिन कुछ ऐसे भी वीडियो देखे गए  जहां लोग  दिल्ली से आने वाले  या और किसी शहर से  आने वाले लोगों की सभी धर्मों के लोग चाहे वह हिंदू हो मुसलमान हो सिख हो या इसाई हो बिना किसी  भेदभाव के  लोगों की  मदद करते हुए  दिखाई दिए। मैंने कई ऐसे वीडियो देखें जिसमें माथे पर तिलक लगाए हुए हिंदू भाई मुसलमान लोगों को खाना खिला रहे हैं और कहीं मुसलमान भाई सर पर टोपी लगाकर हिंदू भाइयों को खाना खिला रहे हैं एक वीडियो मैने देखा एक सिख भाई अपनी जान जोखिम में डालकर स्लो मोशन में चलती हुई ट्रेन मैं मुसाफिरों को खाने का पैकेट दे रहे हैं मैं व्यक्तिगत रूप से पूरी जिम्मेदारी से यह कह रहा हूं  को रोना वायरस के प्रकोप से  बचने  और उससे लड़ने के लिए  हमारा पूरा हिंदुस्तान  आज एक जगह खड़ा है  जो बहुत ही खुशी की बात है बीते कुछ दिनों में हमारे मुल्क में  जो सांप्रदायिकता का जहर घोला गया था वो आज पूरी तरह से  खत्म हो गया इस वायरस ने  हमें यह सबक सिखा दिया कि मुसीबत के वक्त  कोई किसी का नहीं होता सिर्फ इंसान ही इंसान के काम आता है  मैं आशा करता हूं इस मुसीबत के टल जाने के बाद  हम इस बात को  अपनी जीवन भर याद रखें कि मानवता की सेवा  करना ही  सबसे बड़ा धर्म है ।इसके विपरीत शक्ल सूरत से इंसान दिखाई देने वाले लोग मजबूर और लाचार लोगों की मजबूरी का और लाचारी का फायदा उठाते हुए हैवान भी दिखाई दिए दुनिया का कोई भी धर्म हमें यह सीख नहीं देता की जब देश या समाज में भुखमरी की हालत पैदा हो जाएं तो आप अपने गोदाम में रखा हुआ गेहूं दाल चावल तेल घी मसाले या अन्य खाद्य सामग्री का मूल्य दोगुना कर दें इस दौरान जहां कुछ लोगों ने अपनी जमा पूंजी जरूरतमंद लोगों की सेवा में निस्वार्थ खर्च कर दी वहीं कुछ दुष्ट लोगों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए खाद्य सामग्री पर दाम बढ़ा दिए हिंदुस्तान में न जाने कितनी ही एनजीओ चलती हैं और ऑन पेपर सामाजिक कल्याण के कार्य करती हैं कहां गई वो एनजीओ जिन्हें भूखे प्यासे वह बेहाल गरीब मजदूर जो अपने घर पहुंचने के लिए पैदल ही चल पड़े और उनकी आंखें उस देवता स्वरूप इंसान को तलाशती रही जो उन से यह कह सके कि तुम अपना कर्म स्थान छोड़कर मत जाओ हम तुम्हारे साथ हैं हालांकि दिल्ली राज्य सरकार ने देर से ही सही मगर कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं जो सराहनीय हैं यह सोचने का विषय है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि लगभग दुनिया के ज्यादातर शक्तिशाली देश एक साथ इस महामारी की चपेट में आ गए शायद संसार में ऐसा पहली बार हुआ होगा इस प्रश्न का उत्तर हासिल करने के लिए हमें थोड़ा सा अतीत में जाना होगा पूरी दुनिया इस बात को जानती है की अलग-अलग समय पर अलग-अलग देशों में जैसे चीन अमेरिका फ्रांस इटली स्पेन और यूरोप महाद्वीप के अन्य देशों में महिलाओं के नकाब या बुर्का पर पाबंदी लगती रही है या पाबंदी लगाने की आवाजें उठती रही हैं कहीं मस्जिदों पर  कहीं मंदिरों पर और कहीं चर्चों पर और विशेषकर मस्जिदों पर हमले किए गए  हद तो जब हो गई अपने आप को सभ्य और विकसित कहने वाले देशों में ईश्वर के द्वारा भेजे गए  शांति के दूत  प्यारे नबी  हजरत मोहम्मद  साहब  सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम  का कार्टून बनाकर  उनका मजाक बनाया गया  यहां में  अल्लामा इकबाल का एक और शेर कोड करना चाहूंगा अदलो इंसाफ फकत मैंहशर यानी कयामत  पे मोकूफ़ यानी निर्भर  नहीं  जिंदगी खुद भी गुनाहों की सजा देती है। ईश्वर धरती पर जब लोगों को या देश की सरकारों को  छूट दे देता है  तो दुनिया के लोग  और दुनिया की सरकारें घमंड और अहंकार में इतनी  चूर हो जाती हैं कि वह अपने आप को ही ईश्वर समझ बैठती है और जब ईश्वर अपनी रस्सी खींचता है  तो चीख निकल जाती है इसी के परिणाम स्वरूप ज्यादातर इन्हीं देशों में समय-समय पर अलग-अलग तरह की बीमारियां जैसे स्वाइन फ्लू बर्ड फ्लू जैसी संक्रामक बीमारियां भी होती रही हैं और इन देशों के लोगों के मुंह पर नकाब भी लगते रहे हैं जो लोग नकाब का विरोध करने वाले थे ईश्वर ने  सर से लेकर पैर तक उनके  शरीर पर नकाब लगा दिया। मेरा पाठकों से विनम्र निवेदन है  कि वे नकाब शब्द किसी एक धर्म विशेष के सिंबल या चिन्ह के रूप में ना देखें क्योंकि केवल मुस्लिम महिलाएं ही पर्दा नहीं करती हैं बल्कि हिंदू महिलाएं भी पर्दा करती हैं जिसका उदाहरण आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जा सकता है ग्रामीण क्षेत्रों की  हिंदू महिलाएं अपने चेहरे को घूंघट से ढकती हैं ईश्वर ने हमें बुद्धि दी है उसका इस्तेमाल करते हुए इस लॉजिक को समझें कि आखिर कहीं न कहीं हमने कुदरत के नियमों के साथ छेड़छाड़ की है या उस ईश्वर के बंदों के साथ अलग-अलग जगहों पर और अलग-अलग देशों में हमने अत्याचार किया यह वायरस ईश्वर के किसी दुखी व्यक्ति का कोई  श्राप तो नहीं है आज प्रकृति के प्रकोप ने महिलाओं के अलावा पुरुषों के मुंह पर भी नकाब लगा दिया जो लोग कल तक बुर्का या नकाब का मजाक उड़ाते थे वही लोग अपने मुंह पर नकाब लगाकर घूम रहे हैं जिसको हम अंग्रेजी में मास्क कहते हैं मैं पूरी सच्चाई और ईमानदारी से यह कह रहा हूं कि यह लेख किसी भी देश समाज या व्यक्ति के लिए कटाक्ष नहीं है हां एक संदेश जरूर है कि हम अपना सभी धर्म जाति और संप्रदाय के लोग अपना मुहास बा या आकलन करें कि आखिर हमसे चूक कहां हुई और सारी दुनिया की महा शक्तियां इस बात का ध्यान रखें कि उनसे भी बड़ी एक शक्ति है जिसको हम अल्लाह ईश्वर या गॉड के नाम से जानते हैं और उस ईश्वर की लाठी में आवाज नहीं होती आज सारी दुनिया की शक्तियां उस महाशक्ति के एक वायरस के सामने नतमस्तक हैं। अभी तो केवल 1 सप्ताह ही हुआ है और हमारा अपने घरों में दिल घबराने लगा  अब जरा कल्पना कीजिए  कश्मीर  जो हमारे महान मुल्क हिंदुस्तान का एक अभिन्न अंग है और इंशाल्लाह हमेशा रहेगा  वहां के नागरिकों पर क्या गुजर रही होगी जो पिछले 6 महीनों से अपने घरों में बंद हैं। खुदा का शुक्र है कि हमारे पास इंटरनेट फैसिलिटी मौजूद है जो मोबाइल या टीवी के द्वारा  अपना वक्त गुजार लेते हैं  कल्पना कीजिए उन लोगों की परेशानियों के बारे में  जो इसी हिंदुस्तान के नागरिक हैं  उन लोगों के ऊपर क्या बीत रही होगी। कुरान और वेदों में लिखा है कि हमें  किसी मजलूम की बद्दुआ  या श्राप नहीं लेना चाहिए  क्योंकि उसका ताल्लुक  सीधा सातवें आसमान से होता है। मे अल्लाह का शुक्रगुजार हूं कि मैं आईसीएन मीडिया वर्ल्ड मैं सीनियर सब एडिटर हूं और हमारे ग्रुप का नेटवर्क  बाहर विदेशों में भी है  इस लेख के जरिए मैं देश और विदेश मैं रह रहे  अपने सभी सम्मानित पाठकों से अपील करता हूं कि कोरोनावायरस  का यह तूफान गुजर जाने के बाद  कृपया सभी को  इस दुनिया में प्यार और मोहब्बत फैलाने का पैगाम दें। यह जिंदगी मोहब्बत के लिए ही बहुत कम है  नफरत के लिए वक्त कहां से निकाला जाए। ईश्वर की कृपा है कि हमारा जिला बदायूं वायरस के इस प्रकोप से बचा हुआ है और यहां के जिलाधिकारी महोदय कुमार प्रशांत एसएसपी बदायूं श्री अशोक कुमार त्रिपाठी और सहसवान के उप जिलाधिकारी महोदय लाल बहादुर सहसवान सीओ श्री राम करन,सहसवान कोतवाल श्री हरेन्द्र सिंह और सहसवान के कस्बा इंचार्ज श्री राम कुमार के दिन रात अथक प्रयासों के कारण यहां की जनता को खाद्य सामग्री प्राप्त करने में या और अन्य मेडिकल फैसिलिटी हासिल करने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो रही है और यहां की जनता लॉक डाउन का पूरी तरह से पालन कर रही है। समाज में कुछ असामाजिक तत्व भी होते हैं जो पुलिस और प्रशासन को परेशान करते हैं लेकिन अक्सर ऐसा होता है हुड़दंग मचाने वाले लोग जिस वक्त पुलिस को देखते हैं तो वह तो अपने घरों में घुस जाते हैं और एक भला आदमी जो बेचारा किसी काम से दुकान से कोई सामान लेने निकलता है वह पुलिस के हत्थे चढ़ जाता है और शरारती तत्वों का गुस्सा पुलिस उस भले आदमी पर निकाल देती है। इस लेख के जरिए मेरा सभी पाठकों से अनुरोध है की वे  पुलिस वा प्रशासनिक अधिकारियों को सहयोग करते हुए सरकार के आदेश का पालन करें आफ्टर ऑल यह लोग डाउन हमारा जीवन बचाने के लिए ही किया गया है। अंत में मेरा जिलाधिकारी महोदय बदायूं  कुमार प्रशांत साहब से और एसएसपी महोदय अशोक कुमार त्रिपाठी और बदायूं जिले के तमाम प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिसकर्मियों व पुलिस अधिकारियों तथा शहर के तमाम साहिबे हैसियत संपन्न लोगों से मेरा विनम्र निवेदन है की मुश्किल की इस घड़ी में इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोए। छोटे मासूम बच्चे जो केवल दूध के ऊपर ही निर्भर रहते हैं दूध की सप्लाई किसी भी हाल में ना रुके। जिलाधिकारी महोदय बदायूं से मेरा विनम्र निवेदन है कि राशन से मिलने वाला गेहूं को जल्द से जल्द बट वाने की कृपा करें। यह लेखक के अपने व्यक्तिगत विचार हैं यदि किसी व्यक्ति को मेरे किसी शब्द से कोई कष्ट हो इस लेख में कोई त्रुटि हो तो उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं। लेखक मोहम्मद सलीम सीनियर सब एडिटर आईसीएन मीडिया वर्ल्ड।

#सहसवान में लॉकडाउन चलते के गरीबों के मसीहा बने युवा नेता गयासुद्दीन उर्फ गुड्डू,हजारों की संख्या में बाटे राहत के पैकेट

सहसवान विधानसभा के नगर सहसवान में समाजवादी पार्टी के युवा नेता व मुलायम सिंह यूथ बिग्रेड के अध्यक्ष गयासुद्दीन उर्फ गुड्डू ने सहसवान के गरीब लोगों को एक राहत का पैकेट वितरित किया जिसमें आटा दाल चावल तेल साबुन चीनी आदि सामग्री थी एक पैकेट में भरकर लोगों को राशन का इंतजाम किया और सहसवान के लोगों से आवान किया किसी को भी किसी भी चीज की जरूरत हो तो वह तुरंत आकर मेरी कोठी पर संपर्क करें और उसको हर संभव सहायता दी जाएगी सहसवान में गरीबों के मसीहा बनकर उबरे गयासुद्दीन उर्फ गुड्डू सहसवान में चर्चा का विषय बने हुए हैं जिस हिम्मत के साथ उन्होंने गरीबों के कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ देने का वादा किया हे साथ चलने का साथ निभा रहे हैं सहसवान नगर में उनकी तारीफ हो रही है और लोग उनकी हौसला अफजाई कर रहे हैं कि ऐसे बुरे वक्त में सहसवान की जनता के साथ चल रहे हैं अभी तक सहसवान में कोई ऐसा नेता नहीं आया जो किसी गरीब के आंसू पोच सके ऊपर वाला भी नेक काम करने के लिए हर एक किसी को हिदायत नहीं देता है आज ऊपर वाले ने युवा नेता गयासुद्दीन उर्फ गुड्डू को जो हिदायत दी है जो रास्ता दिया है वह रास्ता एक बहुत ही अच्छे मुकाम पर पहुंचता है